सफल दांपत्य जीवन के लिए जरूरी कुंडली मिलान

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वर वधू के केवल गुण ही नहीं, बल्कि कुंडली मिलान के बाद ही सफल वैवाहिक जीवन की नींव रखी जा सकती है ।

शादी से पहले वर और वधू की कुंडलियों का मिलान जरूरी है । इस तरह उनके वैवाहिक जीवन संबंधी समस्याओं का आकलन करना आसान होता है

विवाह जीवन का ऐसा पड़ाव है, जिसके बाद व्यक्ति नवजीवन के पथ पर चल पड़ता है । आमतौर पर हिंदू रीति में कुंडली मिलान में गुणों को मिलाकर ही शादी तय कर देने की परंपरा रही है । पर यह जरूरी नहीं कि गुणों को मिला लेने से ही वर-वधू का जीवन सुखमय हो जाए । दरअसल बदलते समय के साथ ही सामाजिक परिस्थितियां बदल गई हैं और ऐसे में केवल कुछ गुणों को मिला कर शादी तय कर देना नाकाफी माना जाने लगा है ।

आज भी देश में अस्सी फीसदी शादियां गुण मिलान के आधार पर कर दी जाती है । गुण मिलान का कार्य पंडित जैसे गुणी व्यक्त करते हैं, जिनके पास एक पंचांग होता है और सभी पंचांगों में गुण मिलान की सारणी बनी होती है । उसी सारणी के आधार पर वर-वधू के गुणों का मिलान करके शादी पक्की कर दी जाती है । पर अक्सर यह कार्य भी नाकाफी हो जाता है । इसलिए गुण मिलान से पहले पूर्ण कुंडली का मिलान आवश्यक माना जाना चाहिए ।

कुंडली मिलान जरूरी क्यों

 
दरअसल प्रायः एक दिन या चौबीस घंटों में एक ही नक्षत्र होता है । मात्र एक या दो घंटे ही चौबीस घंटों में दूसरा नक्षत्र आ जाता है और किस नक्षत्र में किस चरण में जातक का जन्म हुआ है, इसी को आधार बनाकर गुणों का मिलान कर लिया जाता है । पर ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उन चौबीस घंटों में बारह लग्नों की बारह लग्न कुंडलियां बनती है । कहने का तात्पर्य है कि उन चौबीस घंटों में जिनमे सभी जातकों जन्म नक्षत्र और जन्म राशि तो समान हो सकती है, पर उन सभी की कुंडलियां अलग-अलग होंगी । किसी के लिए गुरु, सूर्य, चंद्रमा, मंगल कारक ग्रह होंगे, तो किसी के लिए शुक्र, शनि या बुध करक ग्रह माने जाते हैं । कोई जातक मांगलिक होगा, तो कोई मांगलिक नहीं होगा । किसी की कुंडली में राजयोग होगा तो किसी की कुंडली में दरिद्र योग होने की असंका होगी । कोई अल्पायु होगा तो किसी जातक की उम्र लंबी होगी । इसी तरह किसी जातक की कुंडली में वैवाहिक सुख होगा, तो किसी की कुंडली में वैवाहिक जीवन ख़राब होगा । यानि उन चौबीस घंटो में जन्मे उन जातकों का जन्म नक्षत्र तो एक ही होगा, परन्तु सभी की कुंडलियां और उसका भाग्य अलग – अलग होगा ।

यहाँ पुनः ध्यान देने योग्य बात यह है कि गुणों का मिलान सिर्फ जन्म नक्षत्र के आधार पर ही होता है, पर अगर किसी वजह से कुंडली में कोई दोष होगा, तो जातकों का वैवाहिक जीवन संकट में पड़ सकता है । कई बार जातकों के २८-२८ गुण मिलने के बाद भी उनका वैवाहिक जीवन संकट में हो जाता है, जबकि कुछ जातक ऐसे भी मिल जाएगें, जिनकी कुंडली में दस- दस गुण ही मिले हों । इसके बाद भी वह सफल दांपत्य जीवन का सुख भोग रहे है ।

-वर्ण, वश्य, तारा, योनि, ग्रह मैत्री, गण, भकूत और नाड़ी पंचांग में इन्हीं के आधार पर किसी की कुंडली मिलान की जाती है ।

-अगर लड़की का वर्ण लड़के के मुकाबले ज्यादा हो, तो यह कुंडली अमान्य होती है ।

-गृह मैत्री से लड़के एवं लड़की के स्वभाव, मानसिक अवस्था एवं अन्य बातों का पता चलता है ।

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